AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने आज कहा कि वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Case) के परिसर में कुछ हिंदू महिलाओं की साल भर की पूजा के लिए वाराणसी की अदालत के आदेश को उच्च स्तर पर चुनौती दी जानी चाहिए। फैसले के कुछ घंटे बाद एक विशेष साक्षात्कार में उन्होंने बताया, “मैं उम्मीद कर रहा था कि अदालत इन मुद्दों को जड़ से खत्म कर देगी। अब ऐसा प्रतीत होता है कि इस तरह के और मुकदमे आने वाले हैं और बाबरी मस्जिद के कानूनी मुद्दे पर भी यही चल रहा है।”
जिला न्यायाधीश एके विश्वेश की अदालत ने आदेश दिया कि पांच हिंदू महिलाओं की याचिका पर साल भर मस्जिद परिसर के अंदर अनुष्ठान करने की अनुमति मांगी जाए। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि वादी, परिसर के रूपांतरण के लिए नहीं कह रहे थे और उनका मुकदमा “नागरिक अधिकार, मौलिक अधिकार के साथ-साथ प्रथागत और धार्मिक अधिकार के रूप में पूजा के अधिकार तक ही सीमित है”।
न्यायाधीश ने कहा कि मुस्लिम याचिकाकर्ताओं की यह ऐसी दलील है कि इससे अस्थिरता पैदा होगी, इसमें कोई दम नहीं है, इसलिए विशेष रूप से इस साल की शुरुआत में ही सुप्रीम कोर्ट को यह मामला सौंपा था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि विवाद की “जटिलता और संवेदनशीलता” को देखते हुए, इसे अनुभवी लोगो की आवश्यकता है। हालाँकि, श्री ओवैसी ने कहा कि आदेश “कई चीजों को बंद भी कर देगा”।