द्वितीय विश्वयुद्ध के योद्धाओं को सम्मानित करते हुए, नॉर्मैंडी डी-डे की 79वीं वर्षगांठ मना रहा है, जो इतिहास के सबसे बड़े समुद्री, वायु और स्थलीय संघर्ष में स्वतंत्रता के लिए लड़ने वालों को समर्पित है।
मंगलवार को, Colleville-sur-Mer के ओमाहा बीच की ओर देखते हुए एक अमरीकी कब्रिस्तान में एक समारोह आयोजित किया गया, ये क़ब्रिस्तान 9,386 संयुक्त राज्य के सैनिकों की कब्रों का बसेरा है, जिनमें से ज़्यादातर ने डी-डे लैंडिंग और ऐसे ही अन्य ऑपरेशनों में अपनी जान गंवा दी थी और बहुत जो गुमशुदा थे ऐसे 1,557 के नाम दीवारों पर खुदे हुए हैं। उनमें से कुछ ही नाम तब से अब तक पहचान किए गये हैं ।
इस साल के श्रद्धांजलि समारोह में नॉर्मैंडी के जवानों को भी याद किया गया वही समस्या का आज उक्रेन को भी सामना करना पड़ रहा है।
अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन और ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल मार्क मिले ने द्वितीय विश्व युद्ध के दिग्गजों के साथ स्मरणोत्सव में भाग लिया।
नॉरमैंडी समारोह भी जनरल मिले के लिए उन सैनिकों के साथ होने का एक मौका था, जो उन्हें अपनों में से एक मानते हैं, क्योंकि वह अपने चार दशक के सैन्य करियर पर गर्व करते हैं। चेयरमैन के पास 82वें एयरबोर्न डिवीजन और 101वें एयरबोर्न डिवीजन, और नॉर्मंडी फील्ड्स, कस्बों और कॉजवे की कमान थी, ये दोनों डिवीजनों के मैदान रहे हैं।
दोनों डिवीजनों के सैकड़ों वर्तमान सैनिक भी वहाँ मौजूद थे, कुछ जो छुट्टी पर थे उनके हाथ में बियर थी , और कुछ विमान से कूद रहे थे जैसा कि उनके पूर्ववर्ति सैनिकों ने 79 साल पहले किया था।
यह शीर्ष कमांडर के रूप में मिली की आखिरी नॉर्मैंडी की यात्रा थी – और जब वह नाजी कब्जे से मुक्त होने वाले पहले शहर सैंटे-मेरे-एग्लिस से गुजरे, याद के लिए फुटबॉल खेलों में उपस्तिथ हुए और समारोहों में भाषण दिया, ऐसा लगा कि जनरल ने बात करना बंद कर दिया और उनमें से हर एक को एक याद स्वरूप सिक्का भेंट किया ।
मंगलवार को, सुबह सूरज के उगते ही ओमाहा बीच पर आने वाले कई अभिनयकारों का साथ हवा के द्वारा बजायी गई सीटियों ने दिया, जो फ्रांस और पश्चिमी यूरोप को नाजी नियंत्रण से मुक्ति के समारोह में, आक्रमण की 79वीं वर्षगांठ का आयोजन करने के लिए बीच पर पहुंचे थे । कुछ लोग फूलों के बुके भी लाए थे और कुछ लोग अमेरिका का झंडा लहराए जा रहे थे।
गोलियों की आवाज़ें और आदमियों की चीखें। द्वितीय विश्व युद्ध की अनुभवी मैरी स्कॉट ने डी-डे का वर्णन इस प्रकार किया, मेरी स्कॉट ने तो इस सबको अपनी कानों से अनुभव किया था तब वह सिर्फ 17 वर्ष की थी जब उन्होंने पोर्टसमाउथ, ब्रिटेन में संचार ऑपरेटर के रूप में तैनात किया गया थी। उनका काम मैसेजेज को ऑन ग्राउंड के लोगों और जनरल ड्वाइट डी आइज़नहावर और वरिष्ठ अधिकारियों के बीच पहुंचाना था, जो की ऑपरेशन का संचालन कर रहे थे।
“मैं युद्ध में थी। मुझे गोलीबारी, मशीन गन्स की आवाज़, बमबारी, विमानो की हवा को चीरती हुई चीखें, आवाज़ के साथ-साथ आदेश देने वाले आदमियों की धड़कन तक सुनाई दी,” उन्होंने याद किया।
“कुछ समय के भय और डर के बाद, मैंने समझ लिया था कि क्या हो रहा है… और मैंने सोचा, चलो, डर के लिए कोई समय नहीं है तुम्हारे पास । तुम्हारा काम है तो करना ही है और इसके साथ ही आगे बढना है और वही मैंने किया” उन्होंने बताया। अब 97 साल की उम्र में पहुंचने वाली स्कॉट ने कहा कि डी-डे उनके जीवन में एक “सबसे बड़ा संकट काल” था।
“एक गैर-लड़ाकू या सैनिक ना होते हुए भी, मैं युद्ध में थी और मुझे युद्ध की महत्वाकांक्षा का भी अंदाज़ा था, उसी पल लोग मर रहे थे” उन्होंने कहा।स्कॉट यह कहते हुए दुखी थी कि देखो एक और युद्ध अब यूरोपीय महाद्वीप पर तैयार है, जब रूस ने उक्रेन पर हमला किया है। उन्होंने कहा “मेरे लिए, युद्ध केवल ऐसी समस्या को हल करने का एकमात्र आख़िरी तरीका होना चाहिए जब अन्य कोई तरीका बचा ही ना हो । यह एक अत्याचार है। यह मेरी भावना है,” ।
डी-डे पर गोल्ड बीच पर उतरे ब्रिटिश विशेष युद्धस्तरी के जवान मरविन कर्श ने कहा कि पश्चिमी सहयोगियों को युक्रेन को अधिकतम सैन्य सहायता भेजनी चाहिए, स्वतंत्र रहने का एकमात्र तरीका मजबूत होना ही है।”
98 वर्षीय कर्श ने हंसते हुए कहा: “में अपनी उम्र के बढ़ने के बावजूद, यूक्रेन जाने का इंतज़ार कर रहा हूँ, मेरा अगला काम यही है और मैं अपनी सेवाओं पर गर्व करता हूं।”