पृथ्वी पर जिस व्यक्ति ने जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है। भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है। जिसका जन्म हुआ है उसकी एक न एक दिन मृत्यु भी अवश्य होगी। हिंदू धर्म में जब भी किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है। तो उसका दाह संस्कार ही किया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि शव का तुंरत दाह संस्कार नहीं किया जाता है और शव को अकेला भी क्यों नहीं छोड़ा जाता है इसके पीछे क्या कारण है?
क्यों नहीं किया जाता तुंरत दाह संस्कार
आपने देखा ही होगा कि जब भी किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो उस व्यक्ति का दाह संस्कार तुंरत नहीं किया जाता है। इसके पीछे का कारण यह है कि जब तक उस व्यक्ति का शरीर पूरी तरह शांंत नहीं हो जाता तब तक दाह संस्कार नहीं कर सकते हैं। साथ ही इसके पीछे दूसरी वजह यह भी है कि उस व्यक्ति के आत्मीयजन, रिश्तेदार का इंतजार किया जाता है। जिससे वह उस व्यक्ति के अंतिम दर्शन कर सके।
शव को अकेला क्यों नहीं छोड़ा जाता
कई बार आपने देखा होगा कि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो शव अकेला नहीं छोड़ा जाता है। इसके पीछे कारण यह है कि जब किसी व्यक्ति को मृत्यु सूर्योस्त के बाद होती है तो शव का दाह संस्कार नहीं किया जाता है और शव के पास कोई न कोई व्यक्ति जरूर मौजूद रहता है, क्योंकि गरुड़ पुराण के अनुसार अगर शव को अकेला छोड़ दिया तो उसमें से गंध आ सकती है। साथ ही अगर शव को अकेला छोड़ दिया तो चींटिया या कोई पशु उसको नोंचकर खा सकता है। वहीं एक वजह यह भी है कि अगर शरीर को अकेला छोड़ दिया तो उसकी बुरी आत्माएं उसके शरीर में प्रवेश कर सकती है। इस कारण भी शव को अकेला नहीं छोड़ा जाता है।
पंचकों में ऐसे करें दाह संस्कार
अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचकों में हुई है तो दाह संस्कार से पहले 5 कुश के पुतले बनाकर उसके साथ रख दें और तेरहवीं के दिन पंचक शांति भी अवश्य कराएं। ऐसा करने से पंचक का दोष नहीं लगता है।