राजस्थान के कांग्रेसियों को कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर पार्टी के रुख का भय सताने लगा है। प्रदेश के अधिकांश कांग्रेसी चाहते हैं कि पार्टी अनुच्छेद 370 पर अपना रुख साफ रखे और राष्ट्रीय नेता अलग-अलग बयानबाजी नहीं करें। कांग्रेसियों का मानना है कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने का विरोध करने से स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव में पार्टी को नुकसान हो सकता है। कांग्रेसियों का मानना है कि आम लोग अनुच्छेद 370 हटाए जाने से खुश हैं।
नेताओं से रुख साफ करने की मांग :- कांग्रेस विधायक और पार्टी पदाधिकारी चाहते है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gahlot) और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट (Sachin Pilot) इस मुद्दे पर अपना रुख साफ करें, जिससे लोगों में सही संदेश जा सके। दोनों दिग्गज केंद्रीय नेतृत्व से भी इस संबंध में बात कर अनुच्छेद 370 हटाए जाने को लेकर राष्ट्रीय नेताओं द्वारा की जा रही अलग-अलग बयानबाजी पर रोक लगवाएंं। स्थानीय निकाय चुनाव की तैयारियों को लेकर बुधवार को हुई बैठक में यह मुद्दा उठाए जाने के बाद गुरुवार को भी प्रदेश के नेताओं ने इस प्रकरण से भाजपा को लाभ होता नजर आने की बात कही।
गुरुवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय व सचिवालय स्थित मंत्रियों के दफ्तरों में विधायकों और नेताओं में अनुच्छेद 370 के मुद्द पर ही चर्चा रही। इन नेताओं ने कहा कि कांग्रेस को एकराय होकर केंद्र के फैसले का समर्थन करना चाहिए। राजस्थान में नवंबर में होने वाले शहरी निकाय चुनाव को लेकर पीसीसी में हुई तैयारी बैठक में अनुच्छेद 370 का मुद्दा छाया रहा। सचिन पायलट की अध्यक्षता में हुई बैठक में जब नेताओं को बोलने का मौका दिया तो अनुच्छेद 370 पर उनका दर्द फूट पड़ा। परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने इस मुद्दे पर खुलकर बात रखने की दलील दी। पूर्व चिकित्सा मंत्री दुर्रू मियां ने कहा कि अनुच्छेद 370 पर पार्टी का रुख साफ नहीं है। दुर्रू मिया ने कहा कि कभी जयराम रमेश और शशि थरूर पीएम मोदी की तारीफ करने की बात कहते हैं, जबकि राहुल गांधी और कांगेस अध्यक्ष के बयान अलग हैं। हम जनता को जवाब क्या दें, जनता हमसे पूछती है।