तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने बताया कि जलवायु परिवर्तन और कुछ देशों की तरफ से दी जा रही चुनौतियों के प्रति वैश्विक जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए आज के समय में कोई भी देश संकुचित विचारधारा नहीं रख सकता, क्योंकि वर्तमान समय में आपसी सहयोग जरूरी है। राज्यपाल ने कहा, ”भारत की आपसी सहयोग, मानव जाति की भलाई की सदियां पुरानी संस्कृति रही है।” VIT पर 37वें दीक्षांत समारोह में बात करते हुए उन्होंने कहा की, ”लोकतंत्र के प्रति भारत की प्रतिबद्धता जीवन जीने का एक तरीका है जो विभिन्न किताबों, शिलालेखों के रूप में हमसे जुड़ा हुआ है। सभी के साथ विचार-विमर्श कर फैसला लेना हमारी जिंदगी का एक हिस्सा है।”
आर एन रवि कहते हैं की, ”इसलिए हम लोकतंत्र को अपना संस्कार मानते हैं। यही वजह है कि दो देशों के बीच रिश्ता मूल्यों और लोकतंत्र पर आधारित होते हैं और चीजें इसी के अनुरूप होती हैं। इन्हीं बातों का ख्याल रखते हुए न केवल लोकतांत्रिक होने पर गौर फरमाया गया है, बल्कि साल-दर-दर लोकतांत्रिक संस्थानों को भी मजबूत बनाया है और तभी जिम्मेदारियों का एहसास भी हो पाया है।”
गर्वनर आर एन रवि ने कहा कि, ”आज दुनिया एक ऐसी परिस्थिति में है जहां हमें परेशान कर देने वाले बदलाव दिखाई दे रहे हैं। काफी समय पहले अमेरिका ने दुनिया में शांति व व्यवस्था कायम रखने की जिम्मेदारी ली थी। लेकिन हाल ही के दिनों में एक ऐसा देश उभरकर सामने आया है जो इसमें खलल डाल रहा है। यह देश दुनिया के सामने तमाम चुनौतियां व खतरे पेश कर रहा है।”
उनका कहना हैं कि अब अमेरिका के लिए अकेले चीजें ठीक रखना मुश्किल हो गया है। ऐसे में भारत को आगे आकर जिम्मेदारियां लेनी होगी। रणनीतिक दृष्टिकोण से भारत और अमेरिका एक-दूसरे के सहयोगी हैं और ये आपस में मिलकर प्रयास कर रहे हैं ताकि दुनिया में चीजें लोकतांत्रिक मूल्यों के अनुरूप हो।