Babool Ki Phali Ke Fayde In Hindi : बबूल कांटेदार पेड़ होता है। सम्पूर्ण भारत वर्ष में यह आसानी से मिल जाता है… इस समय इस पर फलियो की बहार हैं। इसकी लकड़ी बहुत ही मजबूत होती है…मालवा (मध्यप्रदेश) में बबूल के पेड़ पानी के निकट तथा काली मिट्टी में अधिक मात्रा में पाये जाते हैं। इनमें सफेद कांटे जोड़े के रूप में होते हैं। इसके पत्ते आंवले के पत्ते की अपेक्षा अधिक छोटे और घने होते हैं….
विभिन्न भाषाओं में नाम –
संस्कृत बबूल, बर्बर, दीर्घकंटका ,हिन्दी बबूर, बबूल, कीकर /बंगाली बबूल गाछ / मराठी माबुल बबूल / गुजराती बाबूल /तेलगू बबूर्रम, नक दुम्मा, नेला, तुम्मा / पंजाबी बाबला / अरबी उम्मूछिलान / फारसी खेरेमुधिलान / तमिल कारुबेल / अंग्रेजी एकेशियाट्री / लैटिन माइमोसा अराबिका आदि नामों से जाना जाता है।।
इस पेड़ की मुलायम टहनियो को वर्षो से घरो में दातुन बना कर प्रयोग किया जाता रहा हैं। बबूल से ना केवल दाँत साफ रहते हैं बल्कि अनेक प्रकार की बीमारिया भी दूर होती हैं।
घुटनों का दर्द
एक आयु के बाद शरीर के जोड़ों में लुब्रीकेन्टस एवं केल्शियम बनना कम हो जातां है. जिससे कारन जोडो का दर्द, गैप, केल्शियम की कमी, वगैरा प्रोब्लेम्स सामने आती है,बबूल के पेड़ पर जो फली (फल) आती है उसको तोडकर सुखाकर पाउडर बना ले ओर नियमित सुबह 1 चम्मच की मात्रा मे गुनगुने पानी से खाने के एक घंटे के बाद, 2-3 महीने लगातार सेवन करने से आपके घुटने का दर्द बिल्कुल सही हो सकता है. और आपको घुटने बदलने की नौबत नहीं आएगी।
धातु पुष्टि के लिए
बबूल की कच्ची फलियों के रस में एक मीटर लंबे और एक मीटर चौडे़ कपड़े को भिगोकर सुखा लेते हैं। एक बार सूख जाने पर उसे दुबारा भिगोकर सुखा लेते है। इसी प्रकार इस प्रक्रिया को 14 बार करते हैं। इसके बाद उस कपड़े को 14 भागों में बांट लेते हैं, और रोजाना एक टुकड़े को 250 ग्राम दूध में उबालकर पीने से धातु की पुष्टि होती है।
बांझपन दूर करना
कीकर (बबूल) के पेड़ के तने में एक फोड़ा सा निकलता है। जिसे कीकर का बांदा कहा जाता है। इसे लेकर पीसकर छाया में सुखाकर चूर्ण बना लेते हैं। इस चूर्ण को तीन ग्राम की मात्रा में माहवारी के खत्म होने के अगले दिन से तीन दिनों तक सेवन करें। फिर पति के साथ संभोग करे इससे गर्भ अवश्य ही धारण होगा।
पीलिया
बबूल के फूलों को मिश्री के साथ मिलाकर बारीक पीसकर चूर्ण तैयार कर लें। फिर इस चूर्ण की 10 ग्राम की फंकी रोजाना दिन में देने से ही पीलिया रोग मिट जाता है। बबूल के फूलों के चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर 10 ग्राम रोजाना खाने से पीलिया रोग मिट जाता है।
बबूल की फली में 12 से 19 प्रतिशत तक “टेनिन” पाया जाता है। …..इसका गोंद बहुत उपयोगी होता हैं. बबूल गोंद के योग से अनेक आयुर्वेदिक औषधियां बनाई जाती है जैसे बबूलारिष्ट और लवंगादि वटी आदि। इस के गोंद को घी में तलकर उसका पाक बनाकर खाने से पुरुषों का वीर्य बढ़ता है और प्रसूत काल स्त्रियों को खिलाने से उनकी शक्ति भी बढ़ती है।