नई दिल्ली – आज हर कोई जानता है महाराणा प्रताप और उनके घोड़े Chetakऔर उनकी ताकत कोई अंदाजा नही लगा सकता. दोनों ही शक्तिशाली थे. उनके घोड़े की ताकत बताए उतनी ही कम है और ऐसा ही आज महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक का वंशज ‘कमल’ अब बीकानेर में वंशवृद्धि के लिए तैयार है। फरवरी 2006 में केन्द्रीय अश्व उष्ट्र अनुसंधान उदयपुर राजघराने के महाराजा अरविंद सिंह मेवाड़ के राजरतन घोड़े का सीमन यहां लाया था। ढाई साल पहले उस सीमन से कजरी नाम की घोड़ी का कृत्रिम गर्भाधान किया, जिससे ‘कमल’ पैदा हुआ।
उदयपुर राजघराने का दावा इतिहास में महाराणा प्रताप के घोड़े का जिक्र 1576 के आसपास आता है। एक घोड़े की औसत उम्र 25 से 30 वर्ष मानी जाती है और अगर पीढ़ी का अनुमान लगाएं तो बीकानेर का कमल 15 या 16वीं पीढ़ी हो सकती है। हालांकि डीएनए के आधार पर केन्द्र के वैज्ञानिक इस बात को पुख्ता तरह से नहीं कह पा रहा कि ये चेतक का ही वंशज है क्योंकि इसके लिए कमल और चेतक का डीएनए होना जरूरी है। इसे उदयपुर राजघराने के दावे से ही Chetak का वंशज बताया जा रहा है।
‘कमल’ की खासियत कमल अभी ढाई साल का है लेकिन उसकी मस्तानी चाल केन्द्र को लुभा रही है। पिता राजरतन लाल रंग का था जबकि मां कजरी काले रंग की। कमल में दोनों रंगों का मिश्रण है। कमल की ऊंचाई चार साल बाद घोषित की जाएगी। केन्द्र में कमल की अलग से देखभाल होती है। कमल के कान ऊपरी हिस्से पर एक-दूसरे के छोर को छू रहे हैं। इसे घोड़े की बड़ी क्वालिटी माना जाता है।