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India US Trade: कौन हैं ब्रेंडन लिंच, जिनके हाथों में 15 देशों की ट्रेड डील की कमान, भारत पर क्या होगा असर?

कौन हैं ब्रेंडन लिंच, जिन पर है 15 देशों की ट्रेड डील की जिम्मेदारी? भारत पर कैसा असर

India US Trade: भारत-अमेरिका के बीच एक बार फिर से ट्रेड डील शुरु होने जा रही है जिसको लेकर आज नई दिल्ली में एक बैठक आयोजित होगी. मिली जानकारी के अनुसार, दक्षिण और मध्य एशिया के लिए सहायक अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच मंगलवार को भारत के साथ व्यापार वार्ता में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे.

आपको बता दें कि दोनों देशों के बीच समझौते पर बातचीत बीते 27 अगस्त को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर एक्स्ट्रा 25 फीसदी टैरिफ लगाए जाने के बाद से थम गई थी, लेकिन बीते दिनों सोशल मीडिया पर पीएम मोदी और ट्रंप के बीच हुई बातचीत के बाद इस वार्ता में तेजी आने के संकेत दिखने लगे थे. बता दें कि सोमवार की देर रात अमेरिका के प्रमुख वार्ताकार ब्रेंडन लिंच इस डील में उलझे मुद्दों को सुलझाने के लिए भारत पहुंचे हैं.

कौन हैं ब्रेंडन लिंच?
भारत-अमेरिका ट्रे़ड डील को आगे बढ़ाने और दोनों के बीच के रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए अमेरिका के प्रमुख वार्ताकार ब्रेंडन लिंच भारत पहुंच चुके हैं. ब्रेंडन लिंच दोनों देशों के बीच होने वाली बैठक का नेतृत्व करेंगे. मिली जानकारी के अनुसार, ब्रेंडन लिंच ने बोस्टन कॉलेज से बी.एस. और जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय से एम.बी.ए. की पढ़ाई पूरी की है. इसके साथ ही लिंच आर्थिक मामलों में स्पेशिएलिटी रखते हैं.

ब्रेंडन लिंच साल 2013 में अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय के एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट में शामिल हुए, जहां उन्होंने अमेरिकी कृषि व्यापार हितों को आगे बढ़ाने के लिए न केवल साउथ और मिडिल एशिया, बल्कि इजराइल, मेक्सिको, कनाडा और रूस के साथ समझौतों में अहम भूमिका निभाई.

लिंच पर 15 देशों का है जिम्मा
फिलहाल, लिंच साउथ और मिडिल एशिया के लिए अमेरिका के सहायक व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) हैं और उनके ऊपर क्षेत्र के करीब 15 देशों के संबंध में यूएस ट्रेड पॉलिसी और उसे लागू करने की जिम्मेदारी है. इसके साथ ही लिंच अमेरिका-भारत व्यापार नीति फोरम (टीपीएफ) को भी मैनेज करते हैं.

बता दें कि ब्रेंडन लिंच ऐसे समय में भारत आए हैं जब वाशिंगटन द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाने और कुल शुल्क को 50% तक बढ़ाने के फैसले के बाद भारत के निर्यात में मंदी आई है और द्विपक्षीय व्यापार में तनाव बढ़ गया है.

 

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