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Hanumangarhi: तीन सदियों बाद बदली परंपरा, हनुमानगढ़ी के महंत पहली बार मंदिर से बाहर निकले…

हनुमानगढ़ी में 300 साल पुरानी परंपरा टूटी, पहली बार मंदिर से बाहर आए पीठ के महंत

Hanumangarhi: उत्तर प्रदेश के अयोध्या स्थित हनुमानगढ़ी में 300 साल बाद एक परंपरा टूटी है और पीठ के पीठाधीश महंत प्रेम दास, मंदिर से बाहर निकले हैं। अक्षय तृतीया के मौके पर महंत प्रेम दास ने ये फैसला लिया और मंदिर परिसर से बाहर निकले।

The old tradition was broken after 300 years in Hanumangarhi
The old tradition was broken after 300 years in Hanumangarhi

आपको बता दे की 300 सालों से ज्यादा समय में पहली बार ऐसा हुआ है कि हनुमानगढ़ी के महंत, मंदिर परिसर से बाहर आए हैं। महंत प्रेम दास जब मंदिर से बाहर निकले तो नए बने राम मंदिर की ओर जाते समय एक शाही जुलूस भी निकाला गया। इसमें महंत के तमाम शिष्य, नागा और अन्य श्रद्धालु शामिल हुए। बता दें कि पहले के महंत ने ये परंपरा शुरू की थी कि महंत अपने जीवन के दौरान हनुमानगढ़ी परिसर छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे।

बता दे की हनुमानगढ़ी के महंत संजय दास ने बताया, ‘इस परंपरा का 1737 से (288 साल) पालन किया जाता रहा है। महंत की भूमिका स्वयं को भगवान हनुमान को समर्पित करने की है। एक बार पीठ पर विराजमान होने के बाद वह इस मंदिर परिसर में ही जीता और मरता है। उसका शरीर मृत्यु के बाद ही यह परिसर छोड़ सकता है।

महंत संजय दास ने कहा, ‘यहां तक कि दीवानी मामले में भी अदालतों ने इस परंपरा का सम्मान किया है। आवश्यकता पड़ने पर इस अखाड़े का प्रतिनिधि अदालत में पेश होता है। वास्तव में 1980 के दशक में अदालत ने महंत का बयान दर्ज करने के लिए हनुमानगढ़ी के भीतर सुनवाई की थी।

महंत प्रेम दास की राम मंदिर में जाने की इच्छा थी। निर्वाणी अखाड़ा के पंच परमेश्वर ने उनकी इस इच्छा का मान रखा और जीवन में एक बार बाहर निकलने की अनुमति दी। बता दें कि हनुमानगढ़ी, अयोध्या में हनुमानजी का सबसे सिद्ध मंदिर माना जाता है। मान्यता है कि राम मंदिर जाने से पहले इस मंदिर में आकर हनुमान जी के दर्शन जरूर करने चाहिए।

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