औरंगजेब भी नहीं कर पाया था इस मंदिर को खंडित, मधुमक्खियों ने की थी रक्षा
Jeen Mata Ki Katha : जीण माता राजस्थान के सीकर जिले में स्थित एक गांव का नाम है। सीकर से जीण माता गांव 29 किमी दूर है। यहीं पर प्राचीन जीण माता मंदिर है। माता रानी का ये मंदिर हजाराें साल पुराना बताया जाता है। नवरात्र में यहां जीणमाता के दर्शन करने के लिए लाखाें भक्त आते हैं। जीण माता के मंदिर के पास ही पहाड़ की चाेटी पर उनके भार्इ हर्ष भैरव नाथ का मंदिर है।
जीणमाता की कथा Jeen Mata Ki Katha
लोक मान्यता के अनुसार चौहान वंश के राजपूत परिवार में जीण माता का जन्म हुआ था। इनके बड़े भाई का नाम हर्ष था। भाई बहन दोनों एक दूसरे से खूब स्नेह करते थे। एक बार की बात है जीण अपनी भाभी के साथ सरोवर से जल लेने गई। वहीं भाभी के और ननद में इस बात को लेकर विवाद हो गया कि हर्ष किसे अधिक स्नेह करता है। यह तय हुआ कि हर्ष पानी का मटका जिसके सिर से पहले उतारेगा वही हर्ष का अधिक प्रिय होगा। दोनों जब घर पहुंचे तो शर्त से अनजान हर्ष ने पहले अपनी पत्नी के सिर से मटका उतारा। इससे जीण नाराज हो गई और उसे लगा कि भाई उससे कम स्नेह करता है। इससे उसका मोह खत्म हो गया और आरावली के “काजल शिखर” पर पहुंच कर तपस्या करने लगी। तप के प्रभाव से चुरु में देवी का वास हो गया। दूसरी ओर जब चुरु के भाई हर्ष को शर्त की बात पता चली तो वह बहन को मनाने काजल शिखर पर पहुंचा। लेकिन बहन ने घर लौटने से मना कर दिया। इससे हर्ष भी वहीं पहाड़ी पर तप भैरो की तपस्या करने लगा और उसने भैरो पद प्राप्त कर लिया। लोककथा के अनुसार मुगल बादशाह औरंगजेब ने जीण माता और भैरो के मंदिर को तोड़ने के लिए सैनिकों को भेजा। बादशाह के इस व्यवहार से दुःखी लोग जीण माता की प्रार्थना करने लगे। माता ने चमत्कार दिखाया, मधुमक्खियों के झुंड ने मुगल सेना पर धावा बोल दिया। मुगल सेना जान बचाकर भागी। औरंगजेब भी गंभीर रुप से बीमार हो गया। कोई उपाय न देखकर औरंगजेब माता के मंदिर में आया और माफी मांगी। औरंगजेब ने माता को वचन दिया कि वह हर महीने सवा मण अखंड तेल दीप के लिए भेंट करेगा। इसके बाद उसके स्वास्थ्य में सुधार होने लगा।