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कौन हैं द्रोपदी मुर्मू? Draupadi Murmu की सच्चाई, जिनके लिए पीएम मोदी ने पलटा अपना फैसला

Draupadi Murmu Biography in Hindi : पहले चाय वाला पीएम बना। फिर दलित राष्ट्रपति और अब आदिवासी महिला होंगी भारत की राष्ट्रपति। ये भारत के लोकतंत्र की ताकत है की भारत में छोटे से छोटा आदमी बड़े से बड़े पद पर बैठ सकता है । आज हम आपको द्रौपदी मुर्मू की जिंदगी की ऐसी कहानी बताएंगे जिसे सुनकर आप भी कहेंगे हिन्दुस्तान में सबसे गरीब इन्सान मेहनत करे तो सबसे ताकतवर कुर्सी पर बैठ सकता है।

Draupadi Murmu Biography in Hindi

आज हम आपको ऐसी कहानी बताने जा रहे जिसके बाद आप कहेंगे अमेरिका हो या जापान भारत जैसा लोकतंत्र किसी के पास नहीं। मोदी जैसा हिम्मती नेता किसी के पास नहीं। जिनके एक फैसले से सियासत की कहानी बदल जाती है। एक ऐसी महिला जिसका कोई सम्मान नहीं था। सालों पहले भगवान ने पति को छीन लिया। दुख कम होता उसके पहले भगवान द्रौपदी के दोनों बेटों को एक साथ छीन लिया। एक बेटी जीने की आस बची उसी बेटी का हाथ पकड़कर द्रौपदी मुर्मू यहां तक पहुंच गई। आज हम आपको द्रौपदी मुर्मू की जिंदगी का एक ऐसा सच हम बताने जा रहे जिसे सुनकर आप बार बार पीएम मोदी को थैंक्यू कहेंगे। दिल्ली से 1500 किलोमीटर दूर ओड़ीशा का मयूरभंज जिला है। यहां के लोगों की जिंदगी का सच इतना है कि यहां के लोग आज भी भारत के वर्तमान से काफी पीछे। भारत में आज भी कुछ लोग आदिवासियों को इंसान नहीं समझते। पीएम मोदी अक्सर कहते हैं कि विकास आखिरी इंसान तक पहुंचना चाहिए तो इसका सबसे बड़ा सबूत है कि ये इतिहास लिखने से कम नहीं होगा।

आज भारत में ब्राह्मण ठाकुर ओबीसी दलित सबकी बात रोज होती, लेकिन आदिवासी एक ऐसा हिस्सा है जिसके बारे में आधा भारत जानता ही नहीं। बस लोग इतना जानते है की आदिवासी समुदाय से तो तो जंगल जमीन से प्यार करने वाला इंसान होगा। लेकिन आप जानकर हैरान होंगे कि भारत में कुल 8.6 फीसदी यानी करीब 10 करोड़ आदिवासी है लेकिन आज तक किसी ने भी इस समुदाय को सम्मान नहीं दिया, इसलिए पीएम मोदी का ये फैसला खास है। भारत में 1.07 फीसदी सिख हैं, लेकिन राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की कुर्सी हमेशा उनको मिलती रही है।  आदिवासी समुदाय के लोग सत्ता की ललक से ज्यादा जल जंगल जमीन बचाने में जुटे रहे। नतीजा उनको 75 सालों में पहचान नहीं मिली।

Draupadi Murmu Story in Hindi

लेकिन अब पीएम मोदी ने राष्ट्रपति के लिए आदिवासी महिला को चुना इसके लिए मोदी को शुक्रिया कहना चाहिए। यह लगभग तय है कि द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति बन जाएंगी, लेकिन इससे ज्यादा जरूरी बात है जो आपको  जान लेनी चाहिए। पीएम मोदी अक्सर अपनी टीम पर भरोसा जताते और द्रौपदी भी मोदी की टीम का एक नायाब हीरा है। झारखंड की सियासत में राज्यपाल की कुर्सी पर अक्सर तूफान आया करता है, लेकिन जब पीएम मोदी ने साल 2015 में द्रौपदी मुर्मू को राज्यपाल बनाया तो उन्होंने जो नतीजा दिया वो हैरान करने वाला था। पहली बार किसी राज्यपाल ने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। मोदी को ये बहुत पसंद आई इसलिए 19 दिग्‍गजों का नाम काटकर मोदी ने द्रौपदी का नाम राष्ट्रपति के लिए तय किया। मोदी ने कई नाम ऐसे काट दिए जिसकी कल्पना तक नहीं थी।  

द्रौपदी मुर्मू की कहानी सुनकर आपकी आखो में भी आंसू आ जायेंगे . बात उन दिनों की है जब द्रौपदी मुर्मू ने पति और दोनों बेटों को खो दिया था। लोगों ने कहा द्रौपदी हार जाएगी, लेकिन हार के बजाय द्रौपदी ने समाज की सेवा का रास्ता चुना। द्रौपदी मुफ्त में शिक्षा देने लगी। धीरे धीरे रास्ता मिला। फिर 1997 में राजनीति में आई और बीजेपी के साथ द्रौपदी भी आगे बढ़ने लगीं। ओड़िशा के रायरंगपुर के श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में बिना वेतन के अध्यापन कार्य किया। उन्होंने अपना राजनीतिक करियर रायरंगपुर एनएसी के वाइस चेयरमैन के तौर पर शुरू किया। द्रौपदी मुर्मू को ओड़िशा विधानसभा ने साल 2007 में सर्वश्रेष्ठ विधायक के तौर पर नीलकंठ अवार्ड से सम्मानित किया गया था। द्रौपदी मुर्मू ओड़िशा सरकार में ट्रांसपोर्ट वाणिज्य, मछली, पालन, पशुपालन जैसे कई अहम विभाग भी संभाल चुकी हैं। द्रौपदी मुर्मू को अब भारत की वो कुर्सी मिलने वाली है जिसका हक और जिस पर बैठने का सपना हर पांच साल में किसी एक का पूरा होता है। पीएम मोदी का ये फैसला सराहनीय है. ऐसा देश में पहली बार होगा की कोई आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनने जा रही है।

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