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Petroleum Company Ban: अमेरिका ने ईरान से तेल खरीदने को लेकर भारत की 6 कंपनियों को किया बैन

अमेरिका का भारत पर एक्शन:6 कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया, इन्होंने चोरी-छिपे करोड़ों डॉलर का कारोबार किया..

Petroleum Company Ban: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बुधवार देर रात ईरान से प्रतिबंधित रसायन और पेट्रोकेमिकल उत्पादों की खरीद करने वाली 24 कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया। इनमें 6 भारतीय कंपनियां भी हैं।इसके अलावा चीन की 7, UAE की 6, हॉन्गकॉन्ग की 3, तुर्किये और रूस की 1-1 कंपनी भी शामिल हैं।

आपको बता दे कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने इन प्रतिबंधों की घोषणा की। मंत्रालय का कहना है कि इन कंपनियों ने 2024 में ईरानी मूल के 1000 करोड़ रुपए से ज्यादा के उत्पाद यूएई के रास्ते मंगवाए। ईरान इस पैसे न्यूक्लियर प्रोग्राम बढ़ा रहा है और आतंकी फंडिंग कर रहा है।मंत्रालय ने इसे अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन बताया है। ईरान पर 2018 से प्रतिबंध है।

किन भारतीय कंपनियों पर कार्रवाई हुई?

  • अलकेमिकल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड- इस पर सबसे बड़ा आरोप है। कंपनी ने जनवरी से दिसंबर 2024 के बीच करीब 700 करोड़ रुपए से ज्यादा के ईरानी पेट्रोकेमिकल उत्पाद आयात किए।
  • ग्लोबल इंडस्ट्रियल केमिकल्स लिमिटेड- जुलाई 2024 से जनवरी 2025 तक कंपनी ने 51 मिलियन डॉलर (करीब 425 करोड़ रुपए) से ज्यादा के ईरानी मेथनॉल सहित अन्य उत्पाद खरीदे।
  • ज्यूपिटर डाई केम प्राइवेट लिमिटेड- इसी अवधि में इस कंपनी ने टोल्यून समेत ईरानी उत्पादों का करीब 49 मिलियन डॉलर का आयात किया।
  • रमणिकलाल एस. गोसालिया एंड कंपनी- इसने करीब 22 मिलियन डॉलर के पेट्रोकेमिकल्स खरीदे, जिनमें मेथेनॉल और टॉल्युइन शामिल हैं।
  • पर्सिस्टेंट पेट्रोकेम प्राइवेट लिमिटेड- अक्टूबर से दिसंबर 2024 के बीच कंपनी ने 14 मिलियन डॉलर का ईरानी मेथेनॉल आयात किया।
  • कंचन पॉलिमर्स- इस पर 1.3 मिलियन डॉलर के ईरानी पॉलीइथिलीन उत्पाद खरीदने का आरोप है।

अमेरिका का ईरान पर आतंकी संगठनों की फंडिंग का आरोप
ये प्रतिबंध ईरान पर अमेरिका की मेक्सिम प्रेशर की नीति का हिस्सा हैं। अमेरिका का दावा है कि ईरान अपने तेल और पेट्रोकेमिकल उत्पादों की बिक्री से जो आमदनी करता है, उसका इस्तेमाल मध्य पूर्व में अस्थिरता फैलाने और आतंकी संगठनों को समर्थन देने में करता है।

बता दे कि अमेरिका ने कहा है कि प्रतिबंधों का मकसद सजा देना नहीं, बल्कि व्यवहार में बदलाव लाना है। प्रतिबंधित कंपनियां अगर चाहें, तो अमेरिकी ट्रेजरी विभाग से प्रतिबंध हटाने की अर्जी दे सकती हैं।इस कार्रवाई में भारत के अलावा तुर्की, चीन, UAE और इंडोनेशिया की कुछ कंपनियों को भी निशाना बनाया गया है। अमेरिका के मुताबिक, ये कंपनियां ईरान के तेल व्यापार में सहयोग कर रही थीं।

प्रतिबंधों का असर क्या होगा

इन कंपनियों की अमेरिका में मौजूद सभी संपत्तियों और अमेरिकी नागरिकों/कंपनियों के साथ इनके लेनदेन को तुरंत फ्रीज कर दिया गया है। कोई अमेरिकी व्यक्ति या कंपनी इन प्रतिबंधित कंपनियों के साथ व्यापार नहीं कर सकती।

इसके अलावा, इन कंपनियों की जिन दूसरी कंपनियों में हिस्सेदारी 50% से अधिक है, वे भी इन प्रतिबंधों के दायरे में आ जाएंगी।

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