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Harvard University पर ट्रंप प्रशासन का बड़ा कदम: 6800 अंतरराष्ट्रीय छात्रों की पढ़ाई खतरे में

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों की पढ़ाई पर ग्रहण, ट्रंप प्रशासन का कड़ा फैसला

Harvard University: डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने आइवी लीग स्कूल के साथ बढ़ते संघर्ष के मद्देनजर हार्वर्ड विश्वविद्यालय की अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को दाखिला देने की क्षमता को रद्द कर दिया और कहा कि हजारों मौजूदा छात्रों को अन्य स्कूलों में स्थानांतरित होना होगा या देश छोड़ना होगा।इससे पहले गृह सुरक्षा विभाग द्वारा हार्वर्ड पर “अमेरिकी विरोधी, आतंकवादी समर्थक आंदोलनकारियों” को परिसर में हमला करने की अनुमति देने और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ समन्वय करने का आरोप लगाया गया था। हार्वर्ड ने इस कार्रवाई को अवैध बताया है और कहा है कि वह छात्रों को मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान करने का काम करता है। बता दें कि इस एक फैसले के बाद 6800 विदेशी छात्रों की पढ़ाई खतरे में आ गई है। वहीं अगर भारतीय छात्रों की बात करें तो हार्वर्ड की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, हर साल करीब 500 से 800 भारतीय छात्र और विद्वान हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का हिस्सा बनते हैं। वर्तमान की अगर बात करें तो भारत के 788 छात्र हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे हैं।

आपको बता दे कि होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने घोषणा करते हुए कहा कि हार्वर्ड ने “अमेरिका विरोधी, आतंकवाद समर्थक आंदोलनकारियों” को कैंपस में यहूदी छात्रों पर हमला करने की अनुमति देकर एक असुरक्षित कैंपस वातावरण बनाया है।” होमलैंड सिक्योरिटी ने हार्वर्ड पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ समन्वय करने का भी आरोप लगाया और कहा कि हार्वर्ड ने हाल ही में 2024 तक एक चीनी अर्धसैनिक समूह के सदस्यों की मेजबानी और प्रशिक्षण किया। एजेंसी ने एक बयान में कहा, “इसका मतलब है कि हार्वर्ड अब विदेशी छात्रों को दाखिला नहीं दे सकता है और मौजूदा विदेशी छात्रों को स्थानांतरित होना होगा या अपनी कानूनी स्थिति खोनी होगी।”

6800 छात्रों पर मंडराया खतरा
हार्वर्ड कैम्ब्रिज, मैसाचुसेट्स में अपने परिसर में लगभग 6,800 विदेशी छात्रों को नामांकित करता है, जो इसके छात्र निकाय का एक चौथाई से अधिक हिस्सा है। अधिकांश स्नातक छात्र हैं, जो 100 से अधिक देशों से आते हैं। हालांकि, हार्वर्ड ने इस कार्रवाई को गैरकानूनी बताया और कहा कि वह छात्रों को मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए काम कर रहा है। विश्वविद्यालय ने एक बयान में कहा, “यह प्रतिशोधात्मक कार्रवाई हार्वर्ड समुदाय और हमारे देश को गंभीर नुकसान पहुंचाने की धमकी देती है और हार्वर्ड के शैक्षणिक और अनुसंधान मिशन को कमजोर करने वाला है।” बता दें कि 16 अप्रैल को होमलैंड सुरक्षा सचिव क्रिस्टी नोएम द्वारा दिए गए बयान के बाद ट्रंप प्रशासन का यह आदेश आया है। नोएम ने अपने पत्र में मांग की थी कि हार्वर्ड विदेशी छात्रों के बारे में जानकारी सौंपे जो उन्हें हिंसा या विरोध प्रदर्शनों में फंसा सकती है जिससे उन्हें निर्वासित किया जा सकता है।

बता दें कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय में वर्तमान में 6,800 अंतरराष्ट्रीय छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश छात्र स्नातक कार्यक्रमों में हैं। ट्रंप के इस फैसले के बाद इन छात्रों की पढ़ाई अधर में लटक चुकी है। दरअसल अंतरराष्ट्रीय छात्रों को अब अपने अगले कदम के बारे में सोचने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है। होमलैंड सुरक्षा सचिव क्रिस्टी नोएम ने एक पत्र में कहा कि होमलैंड सुरक्षा विभाग ने यह कदम इसलिए उठाया क्योंकि हार्वर्ड ने अपने विदेशी छात्रों के बारे में रिकॉर्ड प्रस्तुत करने के अनुरोधों का पालन करने से इनकार कर दिया। नोएम ने हार्वर्ड पर “यहूदी छात्रों के प्रति शत्रुतापूर्ण, हमास समर्थक सहानुभूति को बढ़ावा देने और नस्लवादी विविधता, समानता और समावेश की नीतियों को लागू करने वाले असुरक्षित परिसर के माहौल को बनाए रखने का आरोप लगाया।”

अमेरिका की धरती पर कौन आता है, इसपर पूरा कंट्रोल अमेरिकी सरकार के पास है। इससे जुड़े मामलों को होमलैंड सिक्योरिटी विभाग देखता है। होमलैंड यह भी देखता है कि कौन से कॉलेज स्टूडेंट एक्सचेंज और विजिटर प्रोग्राम का हिस्सा हैं। बता दें कि विजिटर प्रोग्राम कॉलेजों और स्कूलों में भर्ती के लिए विदेशी छात्रों को जरूरी दस्तावेज जारी करने का भी काम करता है। इसके बाद ही छात्र संयुक्त राज्य अमेरिका में अध्ययन करने के लिए वीजा प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं।

क्या हार्वर्ड के मौजूदा छात्रों को ग्रैजुएट होने की मिलेगी अनुमति?
इस आदेश के बाद जिन छात्रों ने अपने सेमेस्टर को पूरा कर लिया है या अपनी डिग्री पूरी कर ली है, उन छात्रों को ग्रेजुएट होने की अनुमति दी जाएगी। अपने पत्र में नोएम ने कहा कि ये बदलाव 2025-2026 स्कूल वर्ष के लिए प्रभावी होंगे। हालांकि, जिन छात्रों ने अभी तक अपनी डिग्री पूरी नहीं की है, उन्हें दूसरे विश्वविद्यालय में स्थानांतरित किया जाएगा या फिर वो अमेरिका में रहने की अपनी कानूनी अनुमति को खो देंगे।

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