कौन हैं लक्ष्मी अग्रवाल, जिनका किरदार निभा रही हैं दीपिका पादुकोण
Laxmi Agarwal आज फैशन की दुनिया में जाना-माना नाम हैं और साथ में वह स्टॉप सेल ऐसिड की कैंपेनर हैं, लेकिन आज से कुछ साल पहले उन्हें क्या पता था कि एक घटना उनकी ज़िंदगी को तहस-नहस कर देगी। लक्ष्मी अग्रवाल का जन्म दिल्ली के एक गरीब परिवार में हुआ था। भले ही उनका बचपन गरीबी में बीत रहा था, लेकिन लक्ष्मी के सपने काफी बड़े थे। लक्ष्मी को म्यूजिक का काफी शौक था और वह बड़े होकर या तो सिंगर बनना चाहती थीं या फिर एक कथक डांसर। चूंकि लक्ष्मी के पिता एक कुक थे, इसलिए उनके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि लक्ष्मी अपना सिंगर और डांसर बनने का सपना पूरा कर पाएं।
Laxmi Agarwal एक एसिड अटैक सर्वाइवर है और एसिड अटैक पीड़ितों के अधिकारों के लिए बोलती है। 2005 में 15 साल की उम्र में, एक 32 वर्षीय व्यक्ति गुड्डा और उनके उर्फ नदीम सैयद ने उन पर हमला किया था, जिनकी सलाह को उन्होंने ठुकरा दिया था। उनकी कहानी, अन्य लोगों के बीच, हिंदुस्तान टाइम्स द्वारा एसिड अटैक पीड़ितों पर एक श्रृंखला में कही गई थी। उसने एसिड बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए एक याचिका के लिए 27,000 हस्ताक्षर एकत्र करने और भारतीय सर्वोच्च न्यायालय में इसका कारण लेने के लिए एसिड हमलों के खिलाफ भी वकालत की है। उनकी याचिका ने उच्चतम न्यायालय को केंद्र और राज्य सरकारों को एसिड की बिक्री को विनियमित करने का आदेश दिया, और संसद ने एसिड हमलों के अभियोग को आगे बढ़ाने के लिए आसान बना दिया।
Laxmi Agarwal Story Hindi
साल 2005 की बात है एक लड़के को Laxmi Agarwal से प्यार हो गया और वह लक्ष्मी को शादी करने के लिए फोर्स करने लगा। लक्ष्मी ने उसके प्रपोजल को हर बार ठुकरा दिया। इसके बावजूद उसने लक्ष्मी का पीछा नहीं छोड़ा। फिर वह दिन आ ही गया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। लक्ष्मी घर से कुछ दूरी पर ही स्थित बुकशॉप पर जाने के लिए घर से निकलीं और तभी उस लड़के ने ऐसिड से भरी बोतल लक्ष्मी के मुंह पर फेंक दी। उसके साथ दो लोग और भी थे। लक्ष्मी को ‘ना’ की कीमत ऐसिड अटैक के रूप में चुकानी पड़ी। वह सड़क पर पड़ीं तड़पती रहीं। तब एक टैक्सी ड्राइवर ने लक्ष्मी को उठाया और अस्पताल पहुंचाया।
अटैक के बाद लक्ष्मी को महीनों तक अस्पताल के बिस्तर पर ही पड़े रहना पड़ा। वह रात-दिन तड़पती रहीं और शीशे में अपना चेहरा देखने से भी कतराती थीं। 7 सर्जरी हो चुकी थीं, लेकिन लक्ष्मी को नॉर्मल होने में लंबा वक्त लग रहा था। ठीक होने के बाद जब पहली बार उन्होंने शीशे में अपना चेहरा देखा तो वह टूटकर बिखर गई थीं। ऐसिड अटैक के एक साल बाद लक्ष्मी अग्रवाल ने तेजाब की बिक्री पर बैन लगाने के लिए कोर्ट में पीआईएल दायर की। यह केस 2013 तक चलता रहा और आखिरकार सुप्रीम कोर्ट ने तेजाब की बिक्री पर आजीवन बैन लगाने का फैसला सुना दिया।
जब लक्ष्मी अपनी जिंदगी के सब से बुरे दिनों को संभालने में झूझ रही थी तो उसकी मुलाकात आलोक दीक्षित नाम के आदमी से हुई जो कि journalist तथा social activist भी थे। इस पुरे सफ़र में उन्होंने laxmi का भरपूर साथ दिया। आलोक ने बहुत गहराई से जाना कि अगर एक लड़की के पास बाहरी खूबसूरती न रह जाये तो उसे कितना ही कठिन जीवन जीना पड़ता है। मगर आलोक ने सारी traditional विचारों को दरकिनार किया और अपना जीवन लक्ष्मी के साथ बिताने का निर्णय लिया। उनके विश्वास और प्यार की सीमा सिर्फ यही नहीं हैं। 2014 में उन्होंने एक दूसरे के साथ बिना विवाह के साथ रहने का निर्णय भी लिया। वो कहते हैं कि वो नही चाहते कि लोग उनकी शादी में आएं और उनकी भद्दी शक्ल में बारे में comment करें। वो कहते हैं कि वो मरते दम तक एक दूसरे का साथ निभाएंगे और जमाने को बता देंगे कि शादी मन से होती है रिवाज से नहीं।
इस अटैक के बाद भी लक्ष्मी ने खुद को टूटने नहीं दिया। तेजाब की बिक्री पर बैन लगवाने के बाद लक्ष्मी ने स्टॉप ऐसिड अटैक्स के लिए कैंपेन किया। इस कैंपेन की नींव आलोक दीक्षित और आशीष शुक्ला ने रखी थी। लक्ष्मी ऐसिड अटैक सर्वाइवर्स की आवाज़ बन चुकी थीं। इसके लिए उन्हें मिशेल ओबामा ने इंटरनैशनल विमिन ऑफ करेज अवॉर्ड से नवाजा। इसी कैंपेन के दौरान लक्ष्मी को आलोक दीक्षित से प्यार हो गया और उन्होंने लिव-इन में रहने का फैसला किया। आज उनकी एक बेटी भी है, जिसका नाम पीहू है।