अवैध खनन के विरोध में आत्मदाह किया संत विजयदास ने, हुआ निधन, बरसाना में होगा उनका अंतिम संस्कार
अवैध खनन के विरोध में आत्मदाह किया संत विजयदास ने, हुआ निधन, बरसाना में होगा उनका अंतिम संस्कार
भरतपुर में अवैध खनन को लेकर सभी साधु-संत 550 दिन से विरोध जता रहे थे। 20 जुलाई को बड़ी संख्या में संत आंदोलन के लिए जुटे, इसी दौरान संत विजयदास ने खुद को आग लगा ली थी। जिसके बाद उन्हें गंभीर हालत में दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। भरतपुर के पसोपा गांव में संत विजयदास ने अवैध खनन के विरोध में खुद को आग लगा ली थी। संत विजयदास का शुक्रवार की रात को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में निधन हो गया। उनके पार्थिव शरीर को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंपा जाएगा। जिले के डीग क्षेत्र में आदिबद्री धाम और कनकाचल में हो रहे अवैध खनन के विरोध में साधु-संत आंदोलन कर रहे थे। 20 जुलाई को बड़ी संख्या में साधु-संत विरोध करने के लिए जुटे। इसी दौरान आंदोलन स्थल पर संत विजयदास (65 साल) ने आत्मदाह कर लिया। पुलिस और अन्य लोगों ने उन्हें फौरन कंबल में लपेट दिया लेकिन तब तक वह 80 फीसदी जल चुके थे। उन्हें आरबीएम अस्पताल में भर्ती करवाया गया लेकिन उनकी हालत गंभीर होने पर उन्हें पहले जयपुर के एसएमएस अस्पताल, फिर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती करवाया गया। भरतपुर एसडीएम संजय गोयल ने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद संत का पार्थिव शरीर बरसाना ले जाया जाएगा, जहां उनका अंतिम संस्कार होगा।
हरियाणा के रहने वाले थे विजय दास
संत विजयदास हरियाणा के फरीदाबाद जिले के बडाला गांव के रहने वाले थे। उनका नाम मधुसूदन शर्मा था। संत बनने के बाद उनका नाम विजयदास हो गया। एक हादसे में बेटे और बहू की मौत के बाद वे संत बन गए थे। उनके परिवार में बस एक पोती बची है।