Health

स्कूल जाने की उम्र वाले हर 10 में से 1 बच्चे को है डायबिटीज

तेजी से बढ़ रहे हैं बच्चों में डायबीटीज के मामले

पिछले दिनों बॉलिवुड ऐक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा के पति निक जोनस ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि वह 13 साल की उम्र में ही डायबीटीज की चपेट में आ गए थे। आंकड़ों पर गौर करें तो बचपन में डायबीटीज होना अब एक चौंकाने वाली बात नहीं रही है। स्कूल जाने की उम्र वाले हर 10 बच्चों में से 1 को डायबीटीज की बीमारी है। 5 से 9 वर्ष के बच्चों और 10 से 19 वर्ष के किशोरों पर किए गए व्यापक राष्ट्रीय पोषण सर्वेक्षण (सीएनएनएस ) 2016-18 के हाल ही में जारी हुए नतीजों में भी यह बात सामने आई है। यह भी पता चला है कि इन बच्चों में से 1 फीसदी बच्चे डायबीटीज के मरीज हैं।

19 वर्ष की आयु तक के 10% बच्चे प्री-डायबीटिक

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, यूनिसेफ और जनसंख्या परिषद द्वारा जारी एक रिपोर्ट से पता चलता है कि 19 वर्ष की आयु तक के 10 प्रतिशत बच्चों में प्री-डायबीटिक अवस्था पाई गई है, जो आगे चलकर डायबीटिक हो सकते हैं।- 5-7 वर्ष के बीच के 1.3 प्रतिशत बच्चों को डायबीटीज- 8-9 वर्ष के बीच के 1.1 प्रतिशत बच्चों को डायबीटीज- 10-14 वर्ष के बीच के 0.7 प्रतिशत बच्चों को डायबीटीज- 15-19 वर्ष के बीच के 0.5 प्रतिशत बच्चों को डायबीटीज

​कम उम्र में डायबीटीज होने की वजह

रिपोर्ट के मुताबिक, फूड और लाइफस्टाइल की वजह से बच्चों में ब्लड शुगर का लेवल सामान्य से अधिक पाया गया है, जो आगे चलकर टाइप-2 डायबीटीज का खतरा बढ़ाता है। वहीं ये खतरा डायबीटीज के इन सभी मामलों में लगभग 90 प्रतिशत का है। भारतीय किशोरो में डायबीटीज की बात करें, तो 2016 में लगभग 7 करोड़ 20 लाख बच्चों को डायबीटीज था, जो अब बढ़ गया है।

बच्चों में डायबीटीज होने की वजह ये भी

फैमिली में पहले से डायबीटीज की समस्या होना- जिन बच्चों का इम्यून सिस्टम कमजोर हो- मोटे बच्चों में भी इसका खतरा अधिक होता है- शुगर, चॉकलेट और मिठाई का अधिक सेवन करने वाले बच्चों में- फिजिकल ऐक्टिविटी की कमी के कारण भी इसका खतरा बढ़ता है

बच्चों में डायबीटीज के लक्षण

इसके कारण बच्चों का शुगर लेवल असामान्य रूप से बढ़ता है, जिसके कारण उन्हें बहुत ज्यादा प्यास लगती है, उनकी भूख बढ़ जाती है, बच्चे थके हुए व सुस्त रहने लगते हैं, बिना वजह शरीर कांपना, वजन कम होना, धुंधला दिखाई देना वगैरह कई तरह की दिक्कतें आने लगती हैं।

बच्चों में डायबीटीज का इलाज

डायबिटीज से पीड़ित बच्चों को इंसुलिन थेरपी दी जाती है। आमतौर पर बहुत छोटे बच्चों को रात में इंजेक्शन नहीं दिए जाते, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ रात को इंसुलिन शुरू किया जाता है।- समय पर ब्लड शुगर टेस्ट करवाते रहें और उसके हिसाब से इंसुलिन की मात्रा घटाते-बढ़ाते रहना चाहिए।- न्यूट्रिशंस से भरपूर और समय पर खाना दें।- रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट, शुगर, मिठाई, मैदे वाली सफेद रोटी, पेस्ट्री, सोडा और जंक फूड से बच्चों को दूर रखें।- बच्चों को भरपूर पानी पीने के लिए कहें और उन्हें सोडा, जूस या स्क्वैश जैसी ड्रिंक से दूर रखें।

इन बातों का भी रखें ध्यान

बच्चे को नियमित व्यायाम व एक्सर्साइज करने की आदत डालें- उन्हें इंडोर की बजाए आउटडोर गेम खेलने के लिए प्रोत्साहित करें- बच्चे के स्कूल टीचर व फ्रेंड्स को इसकी जानकारी दें, ताकि वह समय पड़ने पर उसकी मदद कर सकें- पैरेंट्स खुद भी शुगर टेस्ट व इंसुलिन का टीका लगाना सीखें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button