आचार्य चाणक्य ने बताए जीवन के कुछ ऐसे भी दुख, जिनसे निकल पाना आसान नहीं होता।
आचार्य चाणक्य की नीतियां आज भी व्यक्ति को जीवन में सही राह दिखाती हैं। चाणक्य नीति के अनुसार, सुख और दुख जीवन में धूप और छांव की तरह होते हैं, जो समय के साथ आते-जाते रहते हैं। जीवन में सुख-दुख का आना जाना लगा ही रहता है, लेकिन कुछ दुख ऐसे होते हैं जो व्यक्ति को अंदर तक तोड़ कर रख देते हैं। आचार्य चाणक्य के अनुसार, ये दुख व्यक्ति के जीवन में इतना गहरा प्रभाव डालते हैं कि लाख कोशिशों के बाद भी उन दुखों से बाहर निकलपाना आसान नहीं होता है।
बेटी के लिए अच्छा जीवन
पुत्री के लिए सुयोग्य वर की तलाश कर उसका विवाह करना पिता के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि होती है। बेटी का विवाह करके पिता अत्यंत सुख का अनुभव करता है। लेकिन यदि बेटी विधवा हो जाए तो माता-पिता के लिए ये जीवन का सबसे बड़ा दुख होता है। चाणक्य नीति के अनुसार, ये दुख माता-पिता को तोड़कर रख देता है और वे जीवनभर इस दुख से निकल नहीं पाते।
किस ओर जाए
चाणक्यनीति के अनुसार, जीवन में कई बार ऐसी परिस्थितियां आती हैं, जब व्यक्ति को ऐसे स्थान पर रहना पड़ता है जहां वो नहीं रहना चाहता। ऐसे स्थान पर रहना व्यक्ति के लिए बोझ के समान होता है। उस जगह उसे हर समय घुटन होती रहती है। कभी-कभी ऐसी जगह से निकल जाने के बावजूद भी व्यक्ति वहां के अनुभव कभी भुला नहीं पाता। स्त्री हो या पुरुष यदि उसका स्वभाव अच्छा नहीं है, वो झगड़ालू प्रवृत्ति का है, तो उसके जीवनसाथी की जंदगी नर्क के सामान बन जाती है। इस दुख से बाहर निकल पाना स्त्री हो या पुरुष दोनों के लिए ही मुश्किल होता है।