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दुनियाभर में मंकीपॉक्स ने मचाया कहर, भारत में भी 4 मरीज दर्ज। जानिए विस्तार

दुनियाभर में मंकीपॉक्स ने मचाया कहर, भारत में भी 4 मरीज दर्ज। जानिए विस्तार

दुनियाभर में मंकीपॉक्स के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और ये वायरस अब खतरनाक रूप लेता जा रहा है। विश्व के 80 देशों में अब तक 17 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं तो वहीं भारत में भी इस वायरस की पुष्टि हो चुकी है। भारत में ये वायरस अब तक 4 लोगों को अपनी चपेट में ले चुका है। इन्ही चीजों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने इसे ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है। मंकीपॉक्स वायरस का संक्रमण जून से जुलाई महीने तक लगभग 80 प्रतिशत से ज्यादा फैल चुका है। अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो इस वायरस का सबसे ज्यादा असर यूरोप के देशों में देखने को मिला है जहां पर पूरे विश्व के 80 प्रतिशत मामले मिले हैं। मंकीपॉक्स की वजह अब तक 5 लोगों की मौत भी हो चुकी है। भारत में इसको लेकर अलर्ट जारी कर दिया गया है। 21 दिनों के भीतर विदेश की यात्रा करने वाले लोगों की स्क्रीनिंग की जा रही है। भारत में तीनों रोगी केरल के ही मिले हैं। संक्रमित पाए जाने पर उनके संपर्क में आने वाले लोगों की भी जांच कराई गई है।

80 देशों में फेल चुका है मंकीपॉक्स

मंकीपॉक्स कितनी तेजी से पैर पसार रहा है इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये 80 देशों में फैल चुका है जहां ये 17 हजार से ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले चुका है और 5 लोगों की मौत भी हो गई है। Monkeypoxmeter.com पर मौजूद डेटा के मुताबिक अब तक विश्व के 80 देशों में 17,092 केस सामने आ चुके हैं और 5 लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें भारत के 4 मामले भी शामिल हैं, जिनमें 3 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ एमरजेंसी घोषित करने के पीछे डब्ल्यूएचओ ने सबसे बड़ी वजह ये बताई है कि अब इस बीमारी के तेजी से फैलने का खतरा बढ़ गया है और इसलिए इंटरनेशनल लेवल पर मिलकर मंकीपॉक्स से लड़ाई लड़ने की जरूरत है।

बहुत खतरनाक है यह बीमारी

यह वायरस कोरोना के वायरस से कम खरतनाक है। इसके मामलों में मृत्यु दर भी अभी कम है। अभी तक विश्व में सिर्फ 5 देशों में इस वायरस की वजह से मौत हुई। इस बीमारी में इंसान से इंसान में संक्रमण हो सकता है, इससे बचाव जरूरी है। कोरोना की तरह इसमें भी मास्क पहनना जरूरी है, इसके साथ ही इसमें भी सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी है। इसके टेस्ट के लिए स्किन से स्लेट लिया जाता है। इसका टेस्ट स्किन के जरिए होता है। इस टेस्ट के बाद ही पता चल पाता है कि संक्रमित व्यक्ति में मंकीपॉक्स का वायरस है या कोई दूसरी बिमारी है।

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