Vizhinjam Port Inauguration: देश के पहले डीप-सी ऑटोमेटेड बंदरगाह का PM Modi ने किया उद्घाटन
पीएम मोदी ने विझिंजम अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह का उद्घाटन किया..

Vizhinjam Port Inauguration: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल में 8,900 करोड़ रुपए की लागत से विझिंजम अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह का उद्घाटन किया है. इस मौके पर सीएम पिनाराई विजयन भी मौजूद रहे. विझिंजम बंदरगाह का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एक तरफ विशाल समुद्र है जिसमें अनेक अवसर हैं और दूसरी तरफ प्रकृति की सुंदरता है. इन दोनों के बीच यह ‘विझिंजम इंटरनेशनल डीपवाटर मल्टीपर्पज सीपोर्ट’ है, जो नए युग के विकास का प्रतीक है.

आपको बता दे कि प्रधानमंत्री सुबह 10.15 बजे तिरुवनंतपुरम शहर से हेलीकॉप्टर द्वारा बंदरगाह क्षेत्र में पहुंचे और हार्ड हैट पहनकर बंदरगाह केंद्र का चक्कर लगाया. साथ ही यहां की सुविधाओं का जायजा लिया. और इसके बाद दोपहर 11.33 बजे उन्होंने केरल के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी और तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर की मौजूदगी में सुविधा के पहले चरण का औपचारिक रूप से उद्घाटन किया.
इस बंदरगाह के उद्घाटन की मदद से केरल वैश्विक समुद्री मानचित्र पर मजबूती से उभरेगा. ये बंदरगाह तिरुवनंतपुरम जिले में स्थित है. इससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और शिपिंग में भारत की भूमिका बदल सकती है.
#WATCH | Thiruvananthapuram, Kerala: After inaugurating Vizhinjam port, PM Modi says, ” …On one hand, there is this big sea with so many opportunities and on the other hand, there is beauty of nature, in between there is this ‘Vizhinjam International Deepwater Multipurpose… pic.twitter.com/iD2BkBZ3xj
— ANI (@ANI) May 2, 2025
अडानी ने कहा आज विझिंजम में इतिहास, नियति और संभावना एक साथ आए और केरल का 30 साल पुराना सपना दुनिया के लिए भारत का प्रवेशद्वार बन गया.
Today, at Vizhinjam, history, destiny and possibility came together as a 30-year-old dream of Kerala became India’s gateway to the world.
We are proud to have built India’s first deep-sea automated port. A future global transshipment hub. This is a triumph of vision, resilience… pic.twitter.com/343mjcNcAB
— Gautam Adani (@gautam_adani) May 2, 2025
दिसंबर 2015 में समझौते पर हुआ हस्ताक्षर
विझिंजम इंटरनेशनल सीपोर्ट लिमिटेड (वीआईएसएल) के पूर्व एमडी और सीईओ एएस सुरेश बाबू ने कहा कि 2014 में चौथा टेंडर जारी किया गया था. लगभग पांच प्रमुख कंपनियों ने उस टेंडर में योग्यता हासिल की थी. उनमें से केवल तीन ने ही टेंडर दस्तावेज खरीदे. अंत में अडानी ने मूल्य बोली प्रस्तुत की और सितंबर 2015 में समझौते पर हस्ताक्षर किए गए और ये दिसंबर 2015 में शुरू हुआ. यह बहुत अच्छी बात है कि हमें यहां एक अंतर्राष्ट्रीय ट्रांसशिपमेंट पोर्ट मिल रहा है. यह भारत के लिए एक परियोजना है और अडानी कंसेशनेयर होने के नाते मुझे यकीन है कि उनकी विशेषज्ञता के साथ वे यहां अच्छा काम कर पाएंगे. कंसेशनेयर के सामने आने वाली कठिनाइयों को देखते हुए केवल अडानी ही इस परियोजना को कर सकते थे क्योंकि वे भारतीय और केरल की स्थितियों को जानते हैं और उनके पास इस क्षेत्र में विशेषज्ञता है.
बता दे की केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि ये ऐतिहासिक क्षण है, जब भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विझिंजम अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह(इंटरनेशनल डीपवाटर मल्टीपर्पज सीपोर्ट) को राष्ट्र को समर्पित किया है. उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक परियोजना है. देश के किसी भी बंदरगाह में राज्य द्वारा किया गया ये अब तक का सबसे बड़ा निवेश है, जिसकी लागत का दो-तिहाई हिस्सा केरल सरकार द्वारा वहन किया गया है. विकास के प्रति राज्य की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
इस गहरे पानी वाले बंदरगाह को भारत के सबसे बड़े बंदरगाह डेवलपर और अडानी समूह के अंग अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड (APSEZ) ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत विकसित किया है.
विदेश से बढ़ेगा व्यापार और राजस्व को होगा फायदा
विझिंजम भारत का पहला समर्पित ट्रांसशिपमेंट बंदरगाह है और यह देश का पहला अर्ध-स्वचालित बंदरगाह भी है. यह एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय शिपिंग मार्ग से सिर्फ़ 10 समुद्री मील की दूरी पर स्थित है. ये काफी गहरा है जो इसे बड़े मालवाहक जहाजों को ले जाने में मदद करता है.
अब तक भारत के लगभग 75 प्रतिशत ट्रांसशिपमेंट कंटेनर श्रीलंका के कोलंबो बंदरगाह द्वारा संभाले जाते थे, जिससे विदेशी मुद्रा और राजस्व में काफ़ी नुकसान होता था. विझिंजम से उस ट्रैफ़िक का ज़्यादातर हिस्सा भारत वापस आने की उम्मीद है. इस बंदरगाह को भारत में किसी राज्य सरकार से अब तक का सबसे ज़्यादा निवेश मिला है. केरल सरकार परियोजना की कुल लागत का दो-तिहाई हिस्सा दे रही है, जिसमें ब्रेकवाटर के निर्माण की पूरी लागत भी शामिल है – बुनियादी ढांचे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा जो बंदरगाह को सभी मौसम में सुचारू रूप से संचालित करना सुनिश्चित करता है.