Latest NewsDharmSports

ऋषिकेश के नीलकंठ मंदिर के बारे में जानें मान्यता और कथा।

ऋषिकेश के नीलकंठ मंदिर के बारे में जानें मान्यता और कथा।

सावन का महीना शिव भक्तों के लिए बेहद खास होता है। इस महीने हर तरफ महादेव की जय जयकार होती है और शिव भक्त आशीर्वाद लेने के लिए शिव मंदिर जाते हैं। सावन के खास मौके पर हम आपको ऐसे शिव मंदिर के बारे में बताएंगे, जो हिमालय पर्वतों के तल में बसा हुआ है। इस मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और भगवान शिव का आशीर्वाद भी मिलता है। यह मंदिर है ऋषिकेश में स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर। बताया जाता है कि भगवान शिव ने इसी स्थान पर समुद्र मंथन से निकला विष ग्रहण किया गया था।

हर साल लाखों कांवड़िए करते हैं जलाभिषेक

ऋषिकेश में स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर भगवान शिव को समर्पित सबसे प्रतिष्ठ मंदिरों में से एक है। इस मंदिर की नक्काशी देखते ही बनती है और इस मंदिर तक पहुंचने के लिए कई तरह के पहाड़ और नदियों से होकर गुजरना पड़ता है। साथ ही यह मंदिर प्रमुख पर्यटन स्थल में से एक है। पौड़ी गढ़वाल जिले के मणिकूट पर्वत पर स्थित मधुमती और पंकजा नदी के संगम पर स्थित इस मंदिर के दर्शन करने के लिए सावन मास में हर साल लाखों शिवभक्त कांवड़ में गंगाजल लेकर जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं। मान्यता है कि सावन सोमवार के दिन नीलकंठ महादेव के दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

वृक्ष के नीचे समाधि में लीन हुए महादेव

विष भगवान शिव के गले में ही अटक गया था, जिसकी वजह से उनका गला नीला पड़ गया और फिर महादेव नीलकंठ कहलाएं। लेकिन विष की उष्णता (गर्मी) से बेचैन भगवान शिव शीतलता की खोज में हिमालय की तरफ बढ़ चले गए और वह मणिकूट पर्वत पर पंकजा और मधुमती नदी की शीतलता को देखते हुए नदियों के संगम पर एक वृक्ष के नीचे बैठ गए थे। जहां वह समाधि में पूरी तरह लीन हो गए और वर्षों तक समाधि में ही रहे, जिससे माता पार्वती भी परेशान हो गईं।

Related Articles

Leave a Reply

Back to top button